चंदौली-चुनाव प्रचार में जाति का सहारा लेने व पार्टी में अपना नंबर ठीक करने में फंसे भाजपा विधायक, चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस,

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चंदौली- चुनाव प्रचार में वोट मांगने के लिए प्रत्याशी एक एक दरवाजे पर जाकर दस्तक देता है।उसे यह उम्मीद रहती है कि यहां से हमें वोट मिलेगा।और प्रत्याशी वह वादा करता है कि हम किसी प्रकार का विकास करने में कोई भेदभाव नहीं करेंगे।मतदाता उसके लुभावने वादे पर आकर चिलचिलाती धूप में मतदान केन्द्र पर जाकर उसके प्रति जाकर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।यही प्रत्याशी जब चुनाव जीत जाते हैं।तब जो हर घर घर में जाकर गुहार लगाकर वहां पहुंचे रहते हैं।वह भूल जाते हैं कि सभी लोगों का योगदान है।तब जाकर यह गौरव भरा सम्मान प्राप्त हुआ है।उन्हें लगता है कि किसी और ने नहीं केवल उसकी जाति के ही लोगों ने हीं उन्हें वोट दिया है।वह इसी कारण से सर्व सम्मान को भूल जाता है। केवल उसे अपनी जाति याद आती है।तब केवल उन्हीं लोगों के विकास और उन्हीं लोगों के सम्मान पर ध्यान रखता है।वह सभी का विकास करने के बजाय स्वयं के विकास पर ज्यादा ध्यान देता है।

लेकिन कभी कभी वह दांव उल्टा भी पड़ जाता है।आपको बताते चलें कि नगर निकाय के चुनाव में मुगलसराय विधायक रमेश जायसवाल के लिए कुछ ऐसा ही हो गया।यह पिछले दिनों अपनी पार्टी के प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए निकले थे।तब संभवतः उन्हें यह लगा कि केवल वह वैश्य समाज के नेता हैं। केवल उन्हीं लोगों से अपील करनी चाहिए। इन्हीं लोगों के बीच जाकर घोषणा करनी चाहिए। इन लोगों का समर्थन लेकर पार्टी में अपना नंबर ठीक-ठाक कर लेना चाहिए। शायद इसी सतही सोच के कारण उन्होंने बाकायदा वैश्य समाज के चंद लोगों को जुटाकर यह शपथ दिला दिया कि वोट कहां देना है। बात इतनी ही रहती तो कुछ लोग जानते कुछ लोग नहीं जानते। लेकिन यहां तो राजनेता अपना एक एक कदम का प्रचार चाहते हैं।वह कहते हैं कि अगर बात निकली है तो दूर तलक जाए। और इसका वीडियो बनाकर बकायदा सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। लेकिन शायद यह पता नहीं था एक संवैधानिक पद पर होने के नाते उनके मुखारविंद से किसी एक जाति की बात करना चुनाव आचार संहिता में ठीक नहीं है।और बाजी पलट गयी।जिसको लेकर उनके विरोधी सक्रिय हो गए। और इसकी शिकायत भी हो गई। चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से ले लिया। जिसको लेकर भाजपा विधायक रमेश जायसवाल को नोटिस भी दे दी गई। अब देखना यह है कि क्या चुनाव आयोग द्वारा मिले नोटिस का जवाब वह चुनाव के बाद देते हैं या चुनाव से पहले ही दे देते हैं।वह लोग विधायक के जवाब के इंतजार में लगे हुए हैं। चड्डी से जुड़े राजनीति कारों का मानना है कि इस नोटिस में बड़ा कबाड़ा कर दिया है। विधायक को जिस वर्ग पर पूरा विश्वास था वह फिलहाल इस चुनाव में दूरी बनाता हुआ दिख रहा है। मतदान के समय तक क्या स्थिति होगी उसका उत्तर फिलहाल समय के ग्रहण में है। फिलहाल चुनाव आयोग को विधायक को दी गई नोटिस का इंतजार है।

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