संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय
चकिया- मनुष्य अगर भगवान के शरण में चला जाए तो वह सभी समस्याओं को सुलझा देता है।अगर व्यक्ति भगवान का सर्णागति हो जाए तो उसका कुकर्म भी सुकर्म हो जाता है। मनुष्य के लिए अगर सच्चे व्यक्ति का साथ है तो वही उसका सबसे बड़ा सत्संग है। जीवन में गुरु का मिलना बड़ी बात नहीं है। गुरु के वचनों का पालन करना सबसे बड़ी बात है।जब तक व्यक्ति के जीवन में भक्ति साथ नहीं होती है तब तक भ्रम ही रहता है। उक्त बातें काशी से पधारी कथावाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने राम कथा के अंतिम दिन नौवीं निशा पर कहीं।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को रामकथा जरूर सुनना चाहिए।और इससे इससे अपने मन के अंदर की गंदगी को सफाई करना सबसे आवश्यक है।और सबसे पहले चिंता को छोड़कर चिंतन करना चाहिए।कहा कि अगर व्यक्ति को किसी के ऊपर विश्वास नहीं है तब तक उसको ज्ञान नहीं आता है।और कभी भी किसी को दिखाकर भक्ति नहीं करनी चाहिए। क्योंकि अगर संसार साथ छोड़ देता है तो उसे भगवान ही उठाने आते हैं। क्योंकि जो भी समाज के लिए समर्पित होता है भगवान भी उसके लिए ही समर्पित होते हैं। व्यक्ति के जीवन में गलती करना नहीं बल्कि उसको न मानना ही सबसे बड़ी गलती है।
रामकथा के अंतिम दिन कथावाचिका शालिनी त्रिपाठी ने श्रोताओं को भरत मिलाप, सूर्पनखा का नाक काटना,खर दूसन वध, सीता हरण,लंका दहन,रावण के मौत,और राम के अयोध्या वापसी व राजगद्दी व राजतिलक का प्रसंग सुनाया। जिसमें श्रोताओं के आंखों से आशु आ गये और श्रोता भावविभोर हो गए। वहीं समापन पर समिति की तरफ से भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें श्रोताओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
इस दौरान उपजिलाधिकारी कुंदन राज कपूर, विधायक कैलाश आचार्य, चेयरमैन गौरव श्रीवास्तव व विधायक प्रतिनिधि केशव मूर्ति पटेल, विजयानंद द्विवेदी, रामकिंकर राय, अवध बिहारी मिश्रा, डॉ गीता शुक्ला, प्रतिभा त्रिपाठी, रामचंद्र तिवारी,राम अवध पांडेय,प्रदीप श्रीवास्तव,रवि कुमार, सहित तमाम लोग मौजूद रहे।