संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय
चकिया- अगर मनुष्य के अंदर बुराई है तो उसे छोड़ देना चाहिए, और राम कथा सुनने से एक भी मनुष्य के अंदर की बुराई छूट जाए तो वह सार्थक हो जाएगा। श्रद्धा और भक्ति बहुत ही प्रबल होती है। जब यह मनुष्य के अंदर होती है तो भगवान अपने आप प्रकट हो जाते हैं। और अपने जीवन में जो पुण्य किया रहता है उसी को भगवान मिलते हैं। अन्यथा पाप करने वाले के तरफ से भगवान खुद अपना ध्यान हटा लेते हैं। उक्त बातें काशी से पधारी कथावाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने राम कथा के छठवीं निशा पर कहीं।
उन्होंने कहा कि आज के समय में मनुष्य के अंदर इतना जहर भरा हुआ है कि सांप और बिच्छू भी अब उससे डरने लगे हैं। जबकि मनुष्य को ऐसा नहीं करना चाहिए। कहा कि व्यक्ति अगर अपने जीवन में दान और भक्ति को नहीं उतरेगा तब तक उसका तन मन और धन कभी भी पवित्र नहीं हो सकता है। और व्यक्ति का संबंध और हृदय अगर एक बार टूट जाए तो दोबारा वह जुड़ने वाला नहीं है, इसलिए मनुष्य को हमेशा अपने संबंध और हृदय को जोड़ कर रखना चाहिए।कहा कि जिसके हृदय में भगवान के प्रति भक्ति होती है उसके यहां ईश्वर बिना बुलाए हुए भी चले जाते हैं। राम कथा के छठवीं निशा पर उन्होंने धनुष टूटने, राम विवाह, और अयोध्या से चली बारात के प्रसंग का श्रोताओं को रसपान कराया। जिसमें राम विवाह के बाद महिलाओं ने भजन पर जमकर डांस किया और पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया, कार्यक्रम का शुभारंभ सुनीति रामायण ने दीप प्रज्वलित कर किया।
इस दौरान विजयानंद द्विवेदी, रामकिंकर राय, अवध बिहारी मिश्रा, डॉ गीता शुक्ला, रामदुलारे गौंड, राम अवध पांडेय, रामचंद्र तिवारी, प्रतिभा त्रिपाठी, प्रदीप सिंह, परमानंद पांडेय,उमराव पाण्डेय, शिवनारायण जायसवाल, अशोक जायसवाल, हिमांशु, प्रदीप, तनु जायसवाल, रागिनी तिवारी, दिव्या कुमारी, सहित तमाम लोग मौजूद रहे।