Thursday, November 21, 2024
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चकिया नगर के सावित्रीबाई फुले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में दो दिवसीय रीथिंकिंग पार्टीशन इन अमृत काल नामक राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम का हुआ आयोजन

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

चकिया- सावित्री बाई फुले स्नातकोत्तर महाविद्यालय में दो दिवसीय रीथिंकिंग पार्टीशन इन अमृत काल नामक राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।जिसका उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. बिंदा डी परांजपे, विशिष्ट अतिथि प्रो. घनश्याम , अध्यक्ष, इतिहास विभाग, काशी हिंदू विश्व विद्यालय के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर किया गया।

मुख्य अतिथि प्रोफसर बिंदा डी परांजपे ने अपने उद्बोधन में विभाजन पर चर्चा करते हुए इतिहास लेखन के उन बिंदुओं के पुनर्लेखन पर ध्यान देने की जरूरत को बताया जो लोग हासिये पर चले गए है,इसके साथ ही व्यक्ति और समष्टि के इतिहास की चर्चा की,और उन्होंने ने कहा कि विभाजन के दर्द दोनों तरफ हुआ, क्या उस विभाजन के दर्द को मानवीय और मानवता के केंद्र में देखते है यह प्रश्न है जो हमेशा छूटा रह जाता है।विशिष्ट अतिथि प्रोफसर घनश्याम ने इतिहास लेखन में मीडिया के विभिन्न माध्यमों की भूमिका एवम विभाजन को प्रवासन के संदर्भ में देखने की जरूरतको रेखांकित किया।

तकनीकी सत्र के दौरान किनोट स्पीकर जे एन यू , के डॉ मनोज शर्मा ने हिंदी सिनेमाओं में विभाजन सम्बंधित घटनाओं का उल्लेख किया, जिसके अंतर्गत पिंजर, लाहौर, ट्रैन टू पाकिस्तान, धूल का फूल, गर्म हवा तमस इत्यादि का चर्चा कर के विभाजन के दर्द को बताया।

कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय की प्राचार्य महोदया डॉ संगीत सिन्हा ने समाज शास्त्रीय दृष्टिकोण से विभाजन को देखने की बात कही।

इस दौरान कीनोट स्पीकर प्रो.मनोज शर्मा, जवाहर लाल नेहरू, नई दिल्ली, विशेष अतिथि आई. सी
.एच. आर ,नई दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर डॉ विनोद कुमार, रमाकांत, संतोष कुमार, डॉक्टर कलावती, डॉक्टर मिथिलेश कुमार सिंह, डॉक्टर अमिता सिंह, विश्व प्रकाश शुक्ल, देवेन्द्र बहादुर सिंह, विपिन शर्मा , श्याम जन्म सोनकर सहित छात्र- छात्राएं उपस्थित थे।तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो.के.के. सिंह, संकाय प्रमुख, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय भी उपस्थित रहे।संचालन डॉ निर्मल पांडेय, और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने किया।

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