संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय
चकिया- भगवान को पाने के लिए व्यक्ति को आस्था की जरूरत होती है अवस्था की नहीं, क्योंकि इसके अंदर आस्था नहीं होती उसे ईश्वर का दर्शन नहीं मिलता। भगवान के प्रति मनुष्य के हृदय में भक्ति होनी चाहिए तभी उन्हें भगवान का प्रेम मिलता है। जिसको भगवान के प्रति प्रेम होता है, वही कथा का भी श्रवण करता है। जिस दिन व्यक्ति के अंदर सेवा का भाव, मनुष्यता का भाव जाग जाए तो उसे समझ जाना चाहिए कि ईश्वर उसके मन में हैं। उक्त बातें काशी से पधारी कथावाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने श्री मानस प्रेम यज्ञ सेवा समिति द्वारा आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा के दूसरी निशा पर कहीं।
उन्होंने कहा कि कहीं भी संशय करने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार का सुख नहीं मिलता है बल्कि उसका विनाश हो जाता है। व्यक्ति को जीवन में कभी संसार नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही कहा कि मनुष्य को हमेशा जमीन पर बैठकर कथा का श्रवण करना चाहिए।जिससे उसको पुण्य मिलता है। जिस व्यक्ति के अंदर भागवत प्रेम होता है उसे ही भगवान मिलते हैं। जिसके अंदर भगवान प्रेम नहीं होता उसे ईश्वर नहीं मिलते हैं। मैंने कहा कि जैसे गंगा की धारा सरल सहज और सुलभ है। वैसे ही भगवान राम की भक्ति करना बहुत ही सरल है। जिसने राम की भक्ति करना शुरू कर दिया बाबा जीवन में सफल हो गया। राम कथा की दूसरी निशा पर शालिनी त्रिपाठी ने श्रोताओं को शिव और सती के प्रसंग के वर्णन का रसपान कराया। कार्यक्रम का शुभारंभ सेवानिवृत अध्यापक राधेश्याम द्विवेदी व चंद्रशेखर पाण्डेय ने संयुक्त रूप से किया।
इस दौरान विजयानंद द्विवेदी, रामकिंकर राय, अवध बिहारी मिश्रा, डॉ गीता शुक्ला,पारस केशरी, विनोद मिश्रा, बाबूलाल,भरत सेठ,समेत तमाम लोग मौजूद रहे।