वाराणसी- महादेव की नगरी काशी में मुर्दे ने किया बड़ा एलान,राम मंदिर ट्रस्ट को निर्माण में सहयोग के लिए देगा एक करोड़ रुपए

संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय

वाराणसी- अयोध्या में इस समय राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभिजीत मुहूर्त में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए पूरे विश्व से दानदाताओं ने ट्रस्ट में दान दिया है। ऐसे में काशी के एक ‘मुर्दे’ ने भी राम मंदिर ट्रस्ट को मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए एक करोड़ रुपए दान में देने का एलान किया है। इसके लिए मुर्दा अपनी सारी संपत्ति बेचेगा, जिसपर उसका नाम अभी नहीं चढ़ा है। मुर्दे ने इसके लिए एक लेटर डीएम और प्रधानमंत्री संसदीय क्षेत्र कार्यालय में सौंपा है।

‘मुर्दा’ संतोष मूरत सिंह ने लिखा पत्र
पिछले कई वर्षों से जिला मुख्यालय पर ‘मै जिंदा हूं’ की तख्ती लगाए घूम रहे छितौना गांव के संतोष मूरत सिंह ने डीएम और प्रधानमंत्री से नई गुहार लगाईं है। दस्तावेजों में मृत संतोष मूरत सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि ‘ मै संतोष मूरत सिंह अभिलेखों में पिछले 20 सालों से मुर्दा हूं। अतः मेरी सभी से मांग है कि मेरी ग्राम छितौना में मौजूद 12 एकड़ जमीन सरकार अधिग्रहण कर मेरा नाम चढ़वाकर उसे बेच दे और उसमे मिले धन में से एक करोड़ रुपया राम मंदिर ट्रस्ट को राम मंदिर निर्माण के लिए उपहार स्वरुप दे दिया जाए।’

20 साल से अभिलेखों में मुर्दा है संतोष
काशी के चौबेपुर स्थित छितौना गांव निवासी संतोष मूरत सिंह खाना बहुत अच्छा बनाता है। ऐसे में साल 2002 में फिल्म आंच की शूटिंग के लिए बनारस पहुंचे नाना पाटेकर ने उनके हाथ का खाना खाया और उनके कायल हो गए और उन्हें अपने साथ ले गए। इधर उनके पट्टीदारों ने उन्हें मुंबई की एक घटना में मृत दिखाकर उनकी सम्पत्ति पर अपना नाम चढ़वा लिया। पिछले 20 सालों से खुद को राजस्व अभिलेखों में जिंदा करवाने की जद्दोजहद में लगे संतोष मूरत सिंह ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी कई साल तक खुद को जिंदा करने की लड़ाई लड़ी है।

कई बार लड़ा है राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सांसद और विधायक का चुनाव
संतोष मूरत सिंह ने बताया कि उन्होंने खुद को दस्तावेजों में ज़िंदा करने के लिए लिए कई बार राष्ट्रपति, सांसद और विधायक का चुनाव भी लड़ा पर हर बार उनका आवेदन रद्द कर दिया जाता। कुछ साल पहले यहां डीएम रहे सुरेंद्र सिंह ने आवासीय भूखंड पर उनका नाम चढ़वाया पर संतोष स्वय को अभी भी मुर्दा मानते हैं और उनका कहना है कि उनके हिस्से की जो जमीन है उसपर भी उनका नाम चढ़ाया जाए।

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