संवाददाता कार्तिकेय पांडेय
चंदौली-इस समय पड़ रही भीषण गर्मी से जहां लोग बेहाल है। वहीं जिले की चार नदियों में गंगा को छोड़कर बाकी तीन नदियां अपने अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझ रही है। हाल यह है कि जिले की कर्मनाशा, चंद्रप्रभा और गरई नदी की तलहटी से धूल उड़ रही है। इससे नदियों किनारे बसे गांवों के लोगों के सामने पेयजल की समस्या गहराने के साथ ही लगे पंप कैनालों के संचालित होने पर भी संकट गहराने लगा है।
जिले की कर्मनाशा नदी बिहार के कैमूर जिले के भगवानपुर पहाड़ी इलाकों से निकल कर सोनभद्र जिले के नगला बांध होते हुए चंदौली जिले में प्रवेश करती है। वहां से नौगढ़ बांध से होते हुए मूसाखाड़ बंधे में पानी आता है। यहीं से लतीफशाह बीयर से लेफ्ट और राइट कर्मनाशा नहरें निकलती है। जिससे सिंचाई के लिए पानी जाता है। एक नहर सीधे बिहार और दूसरी जिले में जाती है। नौगढ़ से चलकर यह नदी चकिया क्षेत्र से चलकर शहाबगंज ब्लाक से बरहनी ब्लाक होते हुए बिहार के बक्सर जिले के चौसा के पास गंगा नदी मिलती है। बांधों में पानी कम होने की वजह से लगभग 80 किमी लंबी नदी का प्रवाह टूट गया है।
इस नदी पर तकरीबन आठ पंप कैनाल भी लगे हुए हैं लेकिन पानी नहीं होने से उनके संचालन पर भी दिक्कत होने लगी है। वहीं चंद्रप्रभा नदी चकिया और नौगढ़ के बीच चंद्रप्रभा डैम से यह नदी निकलती है। वहां से चकिया होते हुए मिर्जापुर जिले के जमालपुर होते हुए चंदौली के बबुरी आती है। वहां से धरौली के पास कर्मनाशा नदी में मिलती है। चंद्रप्रभा डैम के क्षतिग्रसत और रिसाव के चलते बांध का पानी खत्म हो गया है। इसके चलते नदी पूरी तरह से सूख गई है। करीब 55 किमी लंबी नदी का प्रवाह टूट चुका है और धूल उड़ रही है। बांध की मरम्मत का कार्य फिलहाल चल रहा है।
हालांकि इसे बरसाती नदी कहा जाता है। यही हाल गरई नदी का है। मिर्जापुर जिले के लखनिया दरी से निकलकर अहरौरा बांध में आती है। वहां से शिकारगंज चकिया होते हुए मिर्जापुर के जमालपुर ब्लाक में जाती है। वहां से आगे चलकर चंदौली-चकिया मार्ग पर चोरमरवा गांव के पास कांटा साइफन से पहले चंद्रप्रभा नदी में मिलती है। बांध में पानी की कमी के चलते यह नदी भी पूरी तरह सूख चुकी है।