Thursday, November 21, 2024
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चकिया की बेटी ‘नम्रता’ की कविताओं के मुंबई में भी लोग हैं कायल,

-अपने पिता स्वर्गीय हृदय नारायण मिश्रा साहसी के सपनों को कर रही साकार

  • बचपन से ही कविताएं गाने और लिखने की शौकीन है नम्रता
  • पिता के निधन के बाद उनके नाम को प्रदेश व देश में विख्यात करना चाहती हैं

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चकिया- “देखूंगी नहीं मेरे आगे चाहे कठिनाई की लहर या फिर आग की दरिया होगी, तैरकर पार कर लूंगी क्योंकि यह हौसला ही मेरा जरिया होगी”, यह पंक्ति चकिया क्षेत्र से उठकर मुंबई तक अपनी गीतों का प्रदर्शन कर के लोगों को कायल करने वाली युवा कवयित्री नम्रता मिश्रा पर सटीक बैठती है। और शायद यही कारण है कि उनकी कविताएं अब विभिन्न शहरों में लोग सुनने लगे हैं।

दिल्ली में कार्यक्रम के दौरान अपने कविताओं की प्रस्तुति करती कवियित्री नम्रता मिश्रा

बताते चलें कि चकिया क्षेत्र के मुजफ्फरपुर गांव निवासी साहित्यकार और वरिष्ठ कवि हृदय नारायण मिश्रा ‘साहसी’ पहले अपने कविताओं और साहित्य लिखने को लेकर जाने जाते थे। और काफी समय तक उन्होंने तमाम सैकड़ों कविताओं को लिखा और उसे लोगों के बीच में भी प्रस्तुत किया। और एक विख्यात कवि के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले हृदय नारायण मिश्रा बीते कोरोना काल में दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन उनके निधन के बाद भी उनकी कहानियां और उनकी उम्मीदें यहीं खत्म नहीं हुई। और कविताएं लिखते, सुनते, गाते समय की सारी गतिविधियों को उनकी चौथी नंबर की बेटी नम्रता मिश्रा जो कि बचपन से ही कविताएं गाने की शौकीन और पढ़ने में भी काफी अव्वल रहने वाली थी, ने देख और सीख लिया था।और पिता के निधन के बाद परिवार को एक गहरा सदमा लगा। जिसके बाद अपने पिता के द्वारा रचित और लिखित कविताओं को लोगों के बीच में प्रस्तुत करने के लिए उनकी बेटी ने एक बड़ा कदम उठाया। और खुद से कविताएं बनाकर और लिखकर उनकी बेटी ने अपने पिता के सपनों को साकार करते हुए चंदौली से लेकर मुंबई तक लोगों के बीच में प्रस्तुति करनी शुरू कर दी। वही युवा कवियित्री नम्रता ने काफी कम समय में अपनी कविताओं और गायन की वजह से लोगों के दिलों में अपनी जगह बना ली।

चकिया क्षेत्र के प्रख्यात कवि व अपने पिता हृदय नारायण मिश्रा के साथ उनकी बेटी कवियित्री नम्रता मिश्रा(फाइल फोटो)

कॉलेज टाइम से ही होनहार थी नम्रता

बता दें कि मुजफ्फरपुर गांव की रहने वाली नम्रता मिश्रा बचपन से ही पढ़ाई करने में काफी होनहार छात्रा थी। और वह कक्षा 1 से लेकर 6 तक की शिक्षा गांव सही सटे आदर्श शिशु शिक्षा निकेतन में पूरी थी। इसके बाद चकिया स्थित महारानी जयंती कुंवारी कन्या इंटर कॉलेज से हाई स्कूल तो वहीं आदित्य नारायण राजकीय इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा भी पास की। इसके अलावा उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के साथ-साथ जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली से भी अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की है। और वह बचपन से ही पढ़ने में काफी होनहार छात्रा थी इसके अलावा वह कविता, भाषण, इत्यादि में भी काफी रुचि रखती थी। और जिसको लेकर लगातार पढ़ाई के दौरान भी विद्यालय में प्रोत्साहन मिलता था।

नम्रता ने खुद लिखी है कई कविताएं

कवियित्री नम्रता मिश्रा कविताएं गाने के साथ-साथ खुद भी लिखने की शौकीन है। जिसमें मुख्य रुप से टांक सिटी,द हैबिटेट,अवेकेन वर्ड्स, अनकही बातें,इन चार जगहों पर अभी तक इन कविताओं की प्रस्तुति की है‌।

और इनके द्वारा रचित कविताएं हैं जिसमें मैं गीत लिखती हूं मैं प्रीत लिखती हूं,रूह का पौधा प्यासा है, मुझे मेरे दिल की बात कहने दो, मैं तुम्हें पाने के लिए ही तुमसे लड़ती हूं,ए जिंदगी, उम्र की गहराइयां इत्यादि कविताओं को इन्होंने खुद लिखा है।

नम्रता की कविताओं के मुंबई में लोग हैं कायल

बता दें कि युवा कवियित्री नम्रता मिश्रा चकिया और अपने चंदौली जनपद से उठकर के मुंबई में जब इन कविताओं की प्रस्तुति करना शुरू की। तो लोगों ने इनकी कविताओं को खूब सराहा। लेकिन अगर वर्तमान में देखा जाए तो धीरे-धीरे लोग इनकी विभिन्न कविताओं के कायल हो गए हैं। और सोशल मीडिया और खुद सामने से इनकी कविताएं सुनना लोग पसंद करने लगे हैं। और इनकी कविताओं को सुनने के बाद काफी लोगों ने खूब सराहना की। और अधिकतर लोगों में चर्चाएं बनी रहती हैं।

पिता के नाम को लेकर जाना चाहती हैं आगे

कवियित्री नम्रता मिश्रा ने बातचीत में बताया कि उनके पिता एक प्रख्यात कवि थे। जो कि बीते कोरोना काल में उनकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद उनकी कविताएं और उनकी लिखावट बंद हो गई। और अपने पिता की ही प्रेरणा से वह उन कविताओं तथा अपने खुद की कविताओं के माध्यम से अपने पिता के नाम को भी चंदौली के साथ-साथ अन्य जगह और प्रदेश के साथ-साथ देश में भी आगे बढ़ाना चाहती हैं। जिससे कि लोग उन्हें उनकी कविताओं को लेकर जान सकें। उन्होंने बताया कि उनके पिता ह्रदय नारायण मिश्रा को उत्तर प्रदेश के एक कार्यक्रम में कभी रत्न से सम्मानित किया गया था।

कई अन्य चीजों में भी नम्रता की है रुचि

बता दें कि कवियित्री नम्रता जब चंदौली से उठ करके आगे बढ़ी तो वह अपने कविताओं को गाने और लिखने के साथ-साथ कई अन्य चीजों में भी रुचि रखने लगी। इसके साथ साथ नम्रता ने दिल्ली पहुंचने के बाद गुरुग्राम में डीएलएफ फाउंडेशन में भी काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट के पद पर रहकर नौकरी की है। इसके अलावा वह गायन और डांसिंग करने में भी काफी रुचि रखती है,तथा अच्छे नृत्य के लिए भी उसे जाना जाता है। इसके साथ-साथ वह परामर्श मनोवैज्ञानिक, कैरियर एनालिस्ट,योगाचार्य, तथा पेशा परामर्शदाता भी है।

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