संवाददाता कार्तिकेय पाण्डेय
चकिया- छठ पूजा का महापर्व शुरू हो चुका है। लोक आस्था और विश्वास का पर्व छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं। आज कार्तिक शुक्ल पंचमी पर छठ पूजा के दूसरे दिन खरना परंपरा का पालन किया जाएगा। महिलाएं शाम को निर्जला व्रत का संकल्प लेंगी। उसके अगले 36 घंटे तक अन्न-जल नहीं लेना है। शाम को सूर्यास्त के बाद गन्ने के रस से पकी चावल की दूध वाली खीर, चावल का पीठा और घी चुपड़ी रोटी खाएंगी। इसमें नमक या चीनी का इस्तेमाल नहीं होता है। प्रसाद के भोग लगाने की परंपरा को ही लोक भाषा में खरना कहा जाता है। उनके प्रसाद खाने के बाद ही पूरा परिवार और रिश्तेदार भोजन करेंगे।
छठ पूजा के दूसरे दिन प्रसाद का भोग लगाने के बाद व्रती महिलाएं लकड़ी के चूल्हे पर ढेकुआ और लड्डू का प्रसाद बनाएंगी। साथ में बाकी परिजन छठ मईया के लोक गीत गाएंगे। आज से हर घर में छठ मईया के गीतों की गूंज होगी। बता दें की पूरे साफ सफाई के साथ घर पर गन्ने के रस से खीर बनाया जाता है जिस परिवार के लोग खाते हैं।
सज गए घाट, होगा पूजन
चकिया में छठ पूजा को लेकर गंगा-वरुणा और तालाबों-कुंडों के घाटों पर तैयारियां अंतिम रूप दिया जा रहा है। चकिया मां काली मंदिर पर तथा क्षेत्र के विभिन्न तालाबों में बने नए छठी मईया घाट पर भी हजारों वेदियां बना दी गईं हैं। सिकंदरपुर, शिकारगंज,भीषमपुर,कलानी, शहाबगंज तालाबों सैकड़ों की संख्या में वेदी बनकर तैयार है। साथ ही प्रशासन ने अतिरिक्त जल पुलिस को तैनात कर दिया है। इन घाटों पर ही हजारों श्रद्धालु आ जाते हैं। इसके साथ ही तालाबों व पोखरा आदि जगहों पर भी भारी मात्रा में श्रद्धालु सूरज भगवान को अर्घ्य देने के लिए जुटेंगे।