Sunday, March 16, 2025
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चकिया-तहसील क्षेत्र के इस गांव निवासी सीआरपीएफ जवान नक्सली हमले में हुए शहीद,परिजनों में मचा कोहराम

संवाददाता कार्तिकेय पांडेय

चकिया- तहसील क्षेत्र के‌ शहाबगंज विकास खण्ड के रसियां गांव निवासी 23 वर्षीय आलोक राव सीआरपीएफ जवान राजस्थान के मणिपुर में नक्सलियों से लोहा लेते समय नक्सली हमले में शहीद हो गए। जिनके शहीद होने की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया।और परिवार वालों का रो रो कर बुरा हाल हो गया।वहीं जानकारी मिलते ही आसपास के लोग सहित काफी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गयी। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना,सभी की आंखें नम हो गईं।और खबर लिखे जाने तक परिजनों के अनुसार शहीद जवान आलोक का पार्थिव शरीर कल उनके पैतृक गांव रसियां पहुंचेगा। वहीं सूचना के बावजूद कोई जिला प्रशासन का अधिकारी डीएम एसपी या फिर किसी जनप्रतिनिधि ने शहीद जवान के घर पहुंचकर परिजनों से मिलने की जहमत नहीं उठाई।

जानकारी के अनुसार शहाबगंज थाना क्षेत्र के रसिया गांव निवासी विजयी राम के पुत्र 23 वर्षीय आलोक राम तीन वर्ष पूर्व कड़ी मेहनत करके सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे।और इन्होंने अपने भारत माता की रक्षा करने का वादा किया था।तभी से सबकुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन बुधवार की दोपहर आई खबर ने सभी के दिल को दहला दिया।और पता चला कि आलोक राव राजस्थान के मणिपुर में नक्सलियों से लोहा लेते समय नक्सली हमले में शहीद हो गए।खबर मिलते ही परिवार के लोग दहाड़े मारकर रोने लगे।और परिजनों में कोहराम मच गया। आलोक के शहादत की खबर मिलते ही ग्रामीणों की भीड़ उनके गांव स्थित घर पर इक्ट्ठा हो गई। उसका पार्थिव शरीर कल उनके पैतृक गांव रसियां पहुंचेगा।

दूसरे नंबर पर थे आलोक
बता दें कि आलोक कुमार कुल चार भाई बहनों में दूसरे नंबर पर था।और इनके पिता पीएसी विभाग में दरोगा के पद पर कार्यरत थे। वहीं इनके बड़े भाई भी अध्यापक हैं। वहीं इनकी दो छोटी बहनें भी वर्तमान में सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात हैं।और इनके परिवार में सभी लोग लगभग कमाऊ सदस्य थे।

परिजनों के घर नहीं पहुंचे डीएम एसपी व कोई जनप्रतिनिधि
बता दें कि आलोक के शहीद होने की खबर लगते ही जहां भारी भीड़ उनके घर इकट्ठा हो गयी थी।और आसपास के गांवों के भी लोग पहुंच गए थे। गांव के ग्राम प्रधान तालीब अनवर भी मौजूद रहे। लेकिन सूचना के बाद भी उनके घर खबर लिखे जाने तक डीएम व एसपी तथा कोई अन्य राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि भी नहीं पहुंचे थे।और न तो फोन से ही किसी से वार्ता करने की जहमत उठाई।

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