संवाददाता कार्तिकेय पांडेय
चंदौली- जिले में सिंचाई का प्रमुख साधन चंद्रप्रभा बांध की मरम्मत के लिए शासन ने 12 करोड़ छह लाख रुपये अवमुक्त कर दिए हैं। वर्ष के आरंभ में सिंचाई विभाग ने इसकी कार्ययोजना शासन को भेजी थी। अब धन मिलने के बाद विभाग मरम्मत का कार्य शुरू कराने की तैयारी में जुट गया है। चंद्रप्रभा बांध का निर्माण 1960 में पूर्ण किया गया था। बांध के मुख्य गेट के छलके की मरम्मत करीब 12 वर्ष पूर्व कराई गई थी। इसके बाद काफी समय तक बांध का मरम्मत कार्य नहीं कराए जाने से इसके गेटों में बड़े-बड़े छेद हो गए हैं। इससे बांध का सारा पानी बेकार बह जा रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि बांध में एक बूंद भी पानी नहीं है और धान की खेती का समय सिर पर आ गया है। इससे किसानों में खेती पर सिंचाई का खतरा मंडरा रहा है।
आपको बताते चलें कि पिछले 20 जनवरी को शिष्टाचार मुलाकात के दौरान लखनऊ में चकिया विधायक कैलाश खरवार ने मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को ज्ञापन सौंप कर बांध के मरम्मत की मांग की थी। मामले को संज्ञान में लेकर शासन ने चंद्रप्रभा बांध के पुनरुद्धार के लिए सिंचाई विभाग से कार्ययोजना की मांग की थी। शासन ने कार्ययोजना पर मुहर लगाते हुए 12 करोड़ 6 लाख 58 हजार रुपए की धनराशि स्वीकृत कर दी थी। इसके बाद मई माह में धन अवमुक्त कर दिया गया है। अब सिंचाई विभाग टेंडर की प्रक्रिया में जुट गया है। विभाग का दावा है कि एक सप्ताह में टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर सुलुस गेटों के साथ अन्य मरम्मत कार्य आरंभ करा दिए जाएंगे।
सात हजार हेक्टेयर की सिंचाई सुविधा निर्धारित
चंद्रप्रभा बांध से बबुरी सहित लगभग सात हजार हेक्टेयर खेतों की सिंचाई होती है। बांध से संबद्ध मुजफ्फरपुर बीयर के अलावा निकोईया नहर, पथरहवा लेफ्ट व राइट माइनर, पसही रेग्यूलेटर,बबुरी माइनर सहित बैरा पश्चिमी,उत्तरी पंप कैनाल, भूसिया पंप कैनाल के माध्यम से सिंचाई होती है। बांध की हालत जर्जर होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
इस संबंध में चंद्रप्रभा प्रखंड के अधिशासी अभियंता सर्वेश चंद्र सिंन्हा ने बताया कि चंद्रप्रभा बांध के सुलुस गेट की मरम्मत और छिद्रों से हो रहे रिसाव को बंद करा दिया जाएगा। एक सप्ताह में टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर कार्य आरंभ करा दिया जाएगा। इससे सिंचाई की समस्या दूर हो जाएगी।